नेपाल का मुक्तिनाथ धाम, जहां भारत से भी पिंडदान के लिए जाते हैं लोग

नेपाल के मुक्तिनाथ धाम में पिंडदान और 108 पवित्र नलों में स्नान करने का अलग ही महत्व है. कागबेनी गांव से होते हुए हिमालय की घाटियों तक की यह यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और गहरी आध्यात्मिक शांति का एक्सपीरियंस भी कराती है.
पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए जब भी कोई स्थान याद किया जाता है, तो सबसे पहले भारत का गया सामने आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नेपाल के हिमालय की गोद में भी एक ऐसा पवित्र धाम है, जहां पिंडदान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है? इसका नाम है मुक्तिनाथ धाम, जो हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है.
मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष मिलता है और श्रद्धालुओं को भी पुण्य की प्राप्ति होती है, यही वजह है कि दूर-दराज से लोग कठिन
रास्ते तय करके इस धाम की ओर आते हैं.
धरती पर स्वर्ग जैसा अनुभव
मुक्तिनाथ की यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा एक्सपीरियंस है, जो आपकी सारी थकान और सांसारिक चिंताओं को दूर कर देगा. यह यात्रा आपको नेपाल के हरे-भरे जंगलों, शानदार घाटियों, नदियों और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से होकर ले जाती है. इस दौरान रास्ते में आपको विशाल अन्नपूर्णा और धौलागिरी जैसी चोटियां देखने को मिलेंगी, जो आपकी यात्रा को और भी यादगार बना देती हैं. मुक्तिनाथ, जो लगभग 3760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, सही मायने में इस जगह को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है. यहां पहुंचकर आपको ऐसा महसूस होगा, मानो आप धरती पर स्वर्ग में आ गए हों.
पिंडदान और मोक्ष का विशेष महत्व
मुक्तिनाथ धाम की यात्रा में एक बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव आता है कागबेनी गांव. यह एक पवित्र नदी तट है, जहां भक्त अपने प्रियजनों को सम्मान देने के लिए पिंडदान करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जब मुक्तिनाथ मंदिर पहुंचते हैं, तो यहां के 108 पवित्र नलों में स्नान करने का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इन नलों में स्नान करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और वह पुनर्जन्म के चक्र से आजाद हो जाता है. यही कारण है कि हजारों श्रद्धालु हर साल मोक्ष की तलाश में यहां आते हैं.
कब और कैसे पहुंचें मुक्तिनाथ?
मुक्तिनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर माना जाता है, जब मौसम सुहावना रहता है. यात्रा की शुरूआत काठमांडू या पोखरा से की जा सकती है. पोखरा से हवाई मार्ग के जरिए जोमसोम पहुंचा जा सकता है, जो मुक्तिनाथ के सबसे करीब का हवाई अड्डा है.
इसके अलावा जीप या पैदल मार्ग से भी मंदिर तक पहुंचना संभव है.
एडवेंचर प्रेमियों के लिए पोखरा से जोमसोम तक की ट्रेकिंग भी एक शानदार एक्सपीरियंस है, जिसमें नेपाल की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति को करीब से देखा जा सकता है. यह यात्रा सभी उम्र के लोगों के लिए अद्भुत एक्सपीरियंस लेकर आती है और आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून प्रदान करती है.
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