पंजाब: दशकों की सबसे भीषण बाढ़ में 30 लोगों की मौत, हज़ारों गांव प्रभावित

Sep 3, 2025 - 23:13
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पंजाब: दशकों की सबसे भीषण बाढ़ में 30 लोगों की मौत, हज़ारों गांव प्रभावित

पंजाब में भारी बारिश जारी है. भाखड़ा सहित विभिन्न बांधों से नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है. बाढ़ में कम से कम 30 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि पांच लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

नई दिल्ली: पंजाब लगभग चार दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है, जिसमें सीमावर्ती राज्य के 12 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में कम से कम 30 लोगों की जान जा चुकी है.

पंजाब में भारी बारिश जारी है. भाखड़ा सहित विभिन्न बांधों से नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद राज्य में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई है. बाढ़ में कम से कम 30 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि पांच लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं.

खबरों के अनुसार, लगभग 1,400 गांव जलमग्न हो गए हैं. बाढ़ से लगभग 1.50 लाख एकड़ कृषि भूमि क्षतिग्रस्त हो गई है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार द्वारा 1 अगस्त से 1 सितंबर तक संकलित आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के कारण नदियों और नालों में उफान आने के बाद से रावी नदी के बाढ़ में पठानकोट जिले के छह लोगों की मौत हो गई, जबकि होशियारपुर, अमृतसर, लुधियाना, मानसा, रूपनगर और बरनाला जिलों में तीन-तीन लोगों की मौत हो गई.

इस बाढ़ ने बठिंडा, गुरदासपुर, पटियाला, मोहाली और संगरूर जिलों में एक-एक व्यक्ति की जान ले ली. रावी के अलावा, ब्यास और सतलुज नदियों ने भी पंजाब में तबाही मचाई है.

इस बीच, पिछले हफ्ते अचानक आई बाढ़ के बाद से पठानकोट जिले में तीन लोग लापता हैं.

अखबार ने राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा, ‘ज़िला मुख्यालयों से प्राप्त रिपोर्ट्स के आधार पर मौतों से संबंधित आंकड़े संकलित किए गए हैं. इसमें प्रभावित क्षेत्रों में करंट लगने, मकान गिरने की घटनाओं और बाढ़ के कारण डूबने से हुई मौतों के आंकड़े शामिल हैं.

सरकार द्वारा जारी बाढ़ बुलेटिन के अनुसार, बाढ़ से अनुमानित 2.56 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक 1.45 लाख आबादी गुरदासपुर जिले में है, जहां 321 गांव प्रभावित हैं.

इस विनाशकारी बाढ़ के कारण किसानों को, मुख्य रूप से धान की खेती के महत्वपूर्ण मौसम में – भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, क्योंकि राज्य भर में 2.32 लाख एकड़ (94,061 हेक्टेयर) भूमि जलमग्न हो गई है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमृतसर ज़िले में 56,834 एकड़ कृषि भूमि प्रभावित हुई है, इसके बाद मानसा ज़िले में 42,020 एकड़, कपूरथला में 36,902 एकड़, तरनतारन में 29,363 एकड़, फिरोज़पुर में 27,754 एकड़, होशियारपुर में 14,754 एकड़ और पठानकोट ज़िले में 6,034 एकड़ भूमि प्रभावित हुई है.

गुरदासपुर ज़िला प्रशासन ने अभी तक संभावित नुकसान के आंकड़े एकत्र नहीं किए हैं क्योंकि बाढ़ प्रभावित गांवों में जल स्तर बढ़ने के कारण प्रारंभिक सर्वेक्षण में देरी हुई है.

राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ का पानी कम होने के बाद ही पशुधन और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आकलन किया जा सकेगा.

विशेष राहत पैकेज देने की मांग

इस बीच, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए तुरंत एक विशेष राहत पैकेज की घोषणा करने और राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने का आग्रह किया.

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, ‘मोदीजी, बाढ़ ने पंजाब में भारी तबाही मचाई है. जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है.’

गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘ऐसे कठिन समय में आपका ध्यान और केंद्र सरकार की सक्रिय मदद बेहद ज़रूरी है. हज़ारों परिवार अपने घर, जान और अपनों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.’

इस बार की बाढ़ ने 1988 की दुखद यादें ताजा कर दी

पंजाब में आई बाढ़ ने 1988 की भयावह यादें ताज़ा कर दी हैं – जब सतलुज, व्यास और रावी नदियों में आई बाढ़ ने 500 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली थी – जिससे एक बार फिर ऐसी ही स्थिति बनने का डर पैदा हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश, तथा असम, अरुणाचल प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में 1988 में आई बाढ़ उस वर्ष की ‘चार सबसे विनाशकारी मौसमी घटनाओं’ में से एक थी. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफ़ान, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भीषण गर्मी और जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी भी हुई थी.

1988 की बाढ़ ने उत्तर भारत में 1,400 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली, जिनमें पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में कम से कम 685 लोग शामिल थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, अकेले पंजाब में 535 लोगों की मौत हुई. लेकिन पंजाब सरकार के अनुसार, 383 लोगों की मौत हुई और 62 लापता हुए.

आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, उस वर्ष पंजाब में लगातार बारिश मार्च में शुरू हुई थी, लेकिन सबसे ज़्यादा तबाही सितंबर में हुई जब तीन उफनती नदियों – सतलुज, रावी और व्यास ने तबाही मचाई, तब गुरदासपुर से लुधियाना, जालंधर से संगरूर तक लगभग पूरा पंजाब जलमग्न हो गया था.

उसके पांच साल बाद 1993 में पंजाब को फिर से विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसमें 300 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और 6,200 मवेशी मारे गए. सबसे ज़्यादा प्रभावित अमृतसर, गुरदासपुर, लुधियाना, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, होशियारपुर, फिरोज़पुर और संगरूर आदि थे.

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