Pitru Paksha 2025 : कितनी पीढ़ियों तक रहता है पितृ ऋण

वैदिक पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरु होकर 21 सितंबर तक चलने वाले हैं। माना गया है कि इस अवधि में कुछ विशेष उपायों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
HighLights
- 7 से 21 सितंबर तक चलने वाला है पितृपक्ष।
- इस अवधि में नहीं किए जाते शुभ काम।
- पितरों को प्रसन्न करने के लिए उत्तम है यह अवधि।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माना गया है कि यदि किसी व्यक्ति को पितृ दोष लग जाए, तो उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह दोष या पितृ ऋण केवल उसी पीढ़ी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका सामना करना पड़ता है।
ऐसे में चलिए जानते हैं पितृदोष लगने पर व्यक्ति को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही जानते हैं इससे बचाव के उपाय।
इस पीढ़ियों तक झेलना पड़ता है ऋण
हिंदू धर्म में यह माना गया है कि पितृ ऋण का प्रभाव तीन पीढ़ियों तक रह सकता है। शास्त्रों में यह बताया गया है कि जिस घर में मांस-मदिरा का सेवन किया जाता है या फिर जहां पाप कर्म किए जाते हैं, तो ऐसे घर के लोगों को पितरो की नाराजगी का सामना करना पड़ता है।
इसके साथ ही जो पितरों का अपमान करता है, उसे भी पितृदोष का सामना करना पड़ सकता है। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष की अवधि को सबसे उत्तम माना जाता है।
झेलनी पड़ती है ये समस्याएं
पितृदोष लगने पर परिवार में लड़ाई-झगड़े का माहौल बना रहता है। इसके साथ ही पितृदोष से पीड़ित जातकों को संतान प्राप्ति में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके आलावा, विवाह में देरी, आर्थिक नुकसान, करियर व कारोबार में रुकावट आना व घर में किसी सदस्या को स्वास्थ्य समस्या बने रहता भी पितृदोष के ही लक्षण हैं।
कर सकते हैं ये उपाय (Pitru Paksha 2025 upay)
पितृ दोष से राहत पाने के लिए पितृपक्ष में विधि-विधान से तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
साथ ही पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भी भोजन निकालें। इसके अलावा पितृदोष से राहत पाने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना भी बेहद लाभकारी उपाय (shradh paksha 2025 upay) माना गया है।
पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।
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