मुख्य द्वार पर करें यह काम, शरद पूर्णिमा के दिन पृथ्वी पर आती हैं माँ लक्ष्मी

शरद पूर्णिमा के दिन पृथ्वी पर आती हैं मां लक्ष्मी, मुख्य द्वार पर जरूर करें ये एक काम
● 2 दिन बाद यानी 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, इस रात चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है, शरद पूर्णिमा के व्रत की भी विशेष महिमा बताई गई है, इसी दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था, इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
● नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है, इस दिन लक्ष्मी जी अपने श्रद्धालुओं को धन, वैभव, यश और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं इसलिए घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाकर देवी का स्वागत करना चाहिए।
● शरद पूर्णिमा की रात होती है बेहद खास - शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों संग अद्भुत महारास का आयोजन किया था, इस दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों संग नृत्य करने के लिए अनेक रूप प्रकट किए थे, यह दिव्य रासलीला केवल नृत्य नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और आनंद का अद्वितीय प्रतीक भी मानी जाती है।
● मां लक्ष्मी का अवतरण - शरद पूर्णिमा की रात ही समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, यही कारण है कि शरद पूर्णिमा का दिन लक्ष्मी पूजन के लिए बेहद खास माना जाता है, कई जगहों पर इस दिन कुंवारी कन्याएं सूर्य और चंद्र देव की पूजा करती हैं और उनसे आशीर्वाद लेती हैं।
● क्यों खुले आसमान के नीचे रखी जाती है खीर - शरद पूर्णिमा के दिन आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा है, इस रात चंद्रमा की रोशनी से अमृत वर्षा होती है, इस खीर को खाने से अच्छी सेहत का वरदान और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है इसलिए लोग शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की छाया में खीर रखते हैं और फिर उसे अगले दिन सुबह खाते हैं, शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में रखी खीर खाने से इंसान का भाग्योदय होता है और परिवार को रोग-बीमारियों से मुक्ति मिलती है। :- पंडित नित्य प्रकाश तिवारी
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