SCO सम्मेलन: अमेरिका ने मोदी-पुतिन की आलोचना की, कहा- ‘वॉर मशीन’ को बढ़ावा दे रहा भारत

Sep 3, 2025 - 23:33
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SCO सम्मेलन: अमेरिका ने मोदी-पुतिन की आलोचना की, कहा- ‘वॉर मशीन’ को बढ़ावा दे रहा भारत
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (बाएं) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोमवार, 1 सितंबर, 2025 को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान एक बैठक में.

अमेरिका ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हालिया गर्मजोशी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत पर 'रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा देने' का आरोप लगाया है.

नई दिल्ली: अमेरिका ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संबंधों में हालिया गर्मजोशी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भारत पर ‘रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा देने’ का आरोप लगाया है.

मालूम हो कि अमेरिका ने भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लागू किया है, जिसे रूस से तेल खरीद को लेकर दंडात्मक तौर पर भी देखा जा रहा है. ऐसे में अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एससीओ सम्मेलन में पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई बैठकों को भी अधिक महत्व नहीं दिया.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, बेसेंट ने कहा, ‘शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन हर साल होता है. यह हमेशा से एक जैसा ही है. और देखिए, ये बुरे लोग हैं… भारत रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है, चीन रूसी युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है… मुझे लगता है कि एक समय ऐसा आएगा जब हम और हमारे सहयोगी कदम उठाएंगे.’

बेसेंट ने आगे कहा कि ट्रंप प्रशासन रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों पर विचार कर रहा है, क्योंकि उसके ताज़ा मिसाइल और ड्रोन हमलों में यूक्रेन के कीव में कम से कम 17 लोग मारे गए थे, जिनमें चार बच्चे भी शामिल थे.

बेसेंट ने भारत के साथ संबंधों पर कहा, ‘आखिरकार, दो महान देश मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे. लेकिन रूसी तेल खरीदने और फिर उसे फिर से बेचने और यूक्रेन में रूसी युद्ध प्रयासों को फंडिंग देकर भारत सही नहीं कर रहा है.’

गौरतलब है कि अपनी चीन यात्रा के आखिरी दिन पीएम मोदी ज्यादातर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ नज़र आए. कभी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन हॉल में हाथ मिलाते हुए तो कभी एक रूसी बख्तरबंद लिमोज़ीन में एक घंटे तक बातें करते हुए इन्हें देखा गया. इसके अलावा एक घंटे तक औपचारिक बातचीत भी हुई. बाद में दोनों नेताओं ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी बातचीत की.

जहां एक ओर बेसेंट ने भारत, चीन और रूस को ‘बुरे लोग’ करार दिया, वहीं ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार (1 सितंबर) को मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें ‘शी जिनपिंग और पुतिन के साथ घुलते-मिलते’ देखना ‘शर्मनाक’ है.

उन्होंने कहा, ‘… उन्हें हमारे, यूरोप और यूक्रेन के साथ होना चाहिए… रूस के साथ नहीं.’

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, नवारो ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता होने के नाते मोदी को दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाह पुतिन और शी जिनपिंग के साथ घुलते-मिलते देखना शर्मनाक है. इसका कोई अर्थ नहीं है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या सोच रहे हैं, खासकर तब जब भारत दशकों से चीन के साथ शीत युद्ध – और कभी-कभी गरम युद्ध – में उलझा हुआ है.’

नवारो ने आगे कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारतीय नेता यह समझेंगे कि उन्हें रूस के साथ नहीं, बल्कि हमारे, यूरोप और यूक्रेन के साथ रहना चाहिए.’

ज्ञात हो कि इससे पहले नवारो ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ‘ब्राह्मण’ ‘भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी’ कर रहे हैं.

नवारो ने कहा था, ‘मुझे समझ नहीं आ रहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के बावजूद, वह (मोदी) पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों घुल-मिल रहे हैं. मैं बस इतना कहूंगा कि भारत के लोग, कृपया समझें कि यहां क्या हो रहा है. ब्राह्मण भारत के लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं. हमें इसे रोकना होगा.’

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